- शिवजी की पूजा में बेलपत्र का होता है विशेष महत्व
- शिवजी के तीन नेत्र का प्रतीक माना जाता है बेलपत्र
- बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है शिवजी की पूजा
Lord Shiva Puja Importance Bilva Patra: सावन का पावन महीना चल रहा है और इस पूरे माह भगवान शिवजी की पूजा-आराधना और व्रत किए दाते हैं। सावन का पूरा माह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस माह भगवान शिवजी की पूजा करने से और पूजा भी उन्हें प्रिय चीजें चढ़ाने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि सावन में शिवभक्त सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर पूजा करते हैं और बेलपत्र चढ़ाते हैं।
शिवजी को सभी पूजा में तीन पत्तों वाला बेलपत्र या बिल्वपत्र का विशेष महत्व होता है। स्कंद पुराण के अनुसार, जो भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। यह भी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पूजा का कई गुणा फल प्राप्त होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार तीन पत्ते वाले बेलपत्र को शिवजी के तीन नेत्र का प्रतीक माना गया है।
भगवान शिवजी के तीन नेत्र से है बेलपत्र का संबंध
तीन पत्ते वाले बेलपत्र को भगवान शिवजी के तीन नेत्र का प्रतीक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, तीन अंक भगवान शिवजी को अतिप्रिय होता है। बेलपत्र के तीन पत्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी प्रतीक माना जाता है। वहीं एक मान्यता यह भी है कि बेल के फल और बेलपत्र शिवजी को शीतलता प्रदान करते हैं। इसलिए भी शिवजी की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने का महत्व है।
बेलपत्र से जुड़े नियम
शिवजी को सोमवार के दिन बेलपत्र चढ़ाना शुभ होता है। लेकिन इस दिन भूलकर भी बेलपत्र तोड़ना नहीं चाहिए। पूजा में टूटे पत्ते वाले या खंडित बेलपत्र भी न चढ़ाएं। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग पर स्पर्श करता हो। बेलपत्र चढ़ाते समय रुद्राष्टाध्यायी मंत्र का जाप करना उत्तम माना गया है। बेलपत्र चढ़ाते समय "त्रिदलं त्रिगुणाकरम त्रिनेत्रम् च त्रिधायुतम. त्रिजनपसम्हाराम बिल्वपत्रम शिवर्पनम" मंत्र का जाप करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)