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आज से शुरु ​हो रहा है 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत, दो द‍िन व्रत रहकर भी कमा सकते हैं पुण्‍य

Updated Aug 25, 2020 | 09:32 IST

Mahalaxmi Vrat 2020 : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से 16 दिन का महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है। मंगलवार, 25 अगस्त यानी आज से ये व्रत आरभ हो गया है।

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16 Days Mahalaxmi Fast,16 दिन महालक्ष्मी व्रत
मुख्य बातें
  • महालक्ष्मी पूजा गणेश चतुर्थी के चौथे दिन से शुरू होती है
  • 16 दिन तक देवी महालक्ष्मी का व्रत कर पूजन किया जाता है
  • महालक्ष्मी व्रत के दिन ही राधा अष्टमी और दूर्वा अष्टमी भी होती है

देवी लक्ष्मी धन-संपदा और समृद्धि की देवी मानी गई हैं। महालक्ष्मी की पूजा भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होती है और 16 दिन तक चलती है। व्रत-पूजा का समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को व्रत के साथ ही सम्पन्न होता है। यानी व्रत का समापन 10 सितंबर दिन गुरुवार को होगा। महालक्ष्मी व्रत गणेश चतुर्थी के चौथे दिन बाद से प्रारंभ होता है। 

महालक्ष्मी का व्रत लगातार 16 दिन क‍िया जाता है, लेकिन जो 16 दिन व्रत नहींं कर पाते वे लूग पहले और आखिरी दिन व्रत भी रख सकते हैं। तो आइए महालक्ष्मी व्रत, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में आपको विस्तार से बताएं।


जानें, महालक्ष्मी व्रत मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि का प्रारंभ 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जो 26 अगस्त को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

जानें, महालक्ष्मी व्रत का महत्व

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत रखने से देवी की कृपा पूरे परिवार पर रहती है। माना जाता है कि मनुष्य देवी के इस व्रत को कर ले तो उसके जीवन में कभी आर्थिक दिक्कत नहीं आ सकती। महालक्ष्मी व्रत के दिन ही राधा अष्टमी और दूर्वा अष्टमी भी होती है। इसलिए इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन दूर्वा घास की पूजा की जाती है।  महालक्ष्मी व्रत करने से मनुष्य को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और संपदा की प्रात्ति होती है। इस व्रत को उन लोगों को जरूर करना चाहिए जिनके घर में धन का अभाव रहता है या जिनकी नौकरी या व्यापार अच्छा न चल रहा हो। देवी का आशीर्वाद इस व्रत से मनुष्य को जरूर मिलता है। 

जानें महालक्ष्मी पूजा की विधि

सर्वप्रथम नहा-धो कर देवी पूजा और व्रत का संकल्प लें। देवी की पूजा सुबह के समय समान्य रूप से करें। देवी महालक्ष्मी की मुख्य पूजा शाम के समय की जाती है। सुबह आप देवी को सिंदूर,रोली और फूल आदि चढ़ाएं और देवी को भोग लगाएं। शाम को सूर्यास्त के बाद देवी की प्रतिमा या तस्वीर को एक आसन दे कर स्थापित करें और खुद भी जमीन पर आसन ले कर बैठ जाएं। अब देवी का संपूर्ण श्रृंगार कर उनके समक्ष फल,फूल, मेवा और वस्त्र अर्पित करें। साथ ही 16 की संख्या में कौड़िंया भी रखें। इसे बाद देवी को भोग लगाएं और देवी की आरती करें। फिर देवी के मंत्र का जाप करें।

हवन कर खीर का प्रसाद परिवार में बांटें। देवी महालक्ष्मी की पूजा में इस दिन हल्दी से रंगकर 16 गांठ वाला रक्षासूत्र चढ़ाकर अपने हाथों में बांध लें। ये रक्षासूत्र महालक्ष्मी पूजा के उद्यापन वाले दिन खोला जाता है। और इसे फिर बहती नदी में प्रभावित कर दिया जाता है। 

इन मंत्रों का करें जाप

महालक्ष्‍मी की पूजा में हर द‍िन मां लक्ष्‍मी के इन आठ नामों का जाप करें

  1. ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:
  2. ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:
  3. ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
  4. ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:
  5.  ऊं कामलक्ष्म्यै नम:
  6.  ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:
  7.  ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:
  8.  ऊं योगलक्ष्म्यै नम:

देवी की पूजा में पूरे परिवार को शामिल होना चाहिए। खास कर पति-पत्नी को ये पूजा साथ में मिल करनी चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होती है। याद रखें देवी पूजा के साथ विष्णु जी की पूजा करना न भूलें। तभी पूजा पूर्ण मानी जाएगी।

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