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- माघी अमावस्या के नाम से भी जानी जाती है मौनी अमावस्या
- करना चाहिए पवित्र नदियों में स्नान
- पीपल के पेड़ की करनी चाहिए पूजा
हर वर्ष माघ महिने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2021 में यानी इस साल मौनी अमावस्या 11 फरवरी को मनाई जाएगी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। काशी और प्रयाग में गंगा स्नान करने के लिए लोगों का जमावड़ा लगता है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष मिलता है। प्रथा के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। यहां जानिए मौनी अमावस्या का तिथि, मुहुर्त और महत्व...
तिथि और मुहुर्त
मौनी अमावस्या की तिथि: - 11 फरवरी 2021
मौनी अमावस्या प्रारंभ: - 10 फरवरी (रात 01:08 बजे से लेकर)
मौनी अमावस्या समाप्त: - 11 फरवरी (रात 12:35 बजे तक)
क्या है मौनी अमावस्या का महत्व?
मौनी अमावस्या धार्मिक कार्यों के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करने से लोग मोक्ष को प्राप्त करते हैं। स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए, इससे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ भगवान विष्णु की भी विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए। मौन शब्द मुनि शब्द से बना है जिसका मतलब मौन होता है।
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से आत्म शक्ति बढ़ती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन मनु का भी जन्म हुआ था, जिन्हें पृथ्वी का प्रथम पुरुष कहा जाता है। इस दिन दान करना उत्तम माना जाता है। नदी में स्नान करने के बाद गरीबों को तिल, तिल का तिल, लड्डू, कपड़े आदि दान में देना चाहिए। पिंडदान करने के लिए भी यह दिन सर्वश्रेष्ठ है।