- मां भगवती के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा का होता है विधान।
- देवी दुर्गा के स्वरूप को कहा जाता है आठवीं शक्ति।
- मां की चार भुजाओं में त्रिशूल और डमरू विराजमान, शंख चंद और कुंद के फूल से होती है उपमा।
Navratri 2021 8th Day Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra : शरद नवरात्र 2021 में तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण आज नवरात्रि के सातवें दिन माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जा रही है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप को आठवीं शक्ति भी कहा जाता है। मां भगवती का यह स्वरूप अत्यंत गौर्ण, प्राकशमय और ज्योर्तिमय है।
पुराणों के अनुसार इनके तेज से संपूर्ण जगत प्रकाशमय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शुंभ और निशुंभ से पराजित होने के बाद सभी देवी देवताओं ने गंगा नदी के तट पर मां भगवती के इस स्वरूप से ही अपनी रक्षा की प्रार्थनी की थी। माता की चारो भुजाओं में त्रिशूल और डमरू विराजमान है, इनकी उपमा शंख, चंद और कुंद के फूल से की गई है।
माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, इस दिन माता को गुड़हल का फूल अर्पित करने और मिठाइयों का भोग लगाने से सुख समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य, प्रदायिनी और चैतन्यमय भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी।
माता महागौरी के मंत्र और हिंदी आरती
Maa Mahagauri Puja Vidhi, मां महागौरी की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गंगा जल छिड़ककर शुद्ध करें, फिर माता की मूर्ती स्थापित करें। माता को पंचामृत से स्नान कराएं। गणेश पूजन और कलश पूजन के बाद मां महागौरी की पूजा प्रारंभ करें। माता को गुड़हल का फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें और माता का श्रंगार कर मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती कर महागौरी की पूजा का पाठ करें। फिर अंत में माता की आरती करें।
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की व्रत कथा
Maa Mahagauri Puja Mantra, मां महागौरी पूजा मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचि:
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
ओम देवी महागौर्यै नम:।।
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनाम्।।
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थिता अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कतं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्या मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्।
कवच मंत्र
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां ह्रदयो।
क्लींबीजंसदापातुन भोगृहोचपादयो।।
ललाट कर्णो हूं बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो।
Maa Mahagauri Aarti lyrics in hindi, मां महागौरी आरती लिखित में
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जगत की महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती संत हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले संकट मिटाया।
शनिवार की तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।
Maa Mahagauri Vrat Katha, महागौरी की पौराणिक कथा
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
दूसरी पौराणिक कथा
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलनाथ ने देवी पार्वती को मां काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया। देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी। ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया। इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया। इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया। आपको बता दें मां पार्वती ही देवी भगवती का स्वरूप हैं।