- नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का है विधान।
- माता के इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी कहा जाता है।
- माता का यह स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय और अत्यंत भव्य है।
Navratri 2022 2nd Day Maa BharamachariniPuja Vidhi and Mantra: नवरात्रि के दूसरे दिन देवी भगवती के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है, माता के इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी कहा जाता है। ब्रह्म में लीन और कठोर तपस्या के कारण माता के इस स्वरूप को ब्रह्मचारिणी (Maa Bharamacharini) कहा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था और भोलेनाथ को पति स्वरूप प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक ब्रह्मचारिणी का रूप धारण कर कठोर तपस्या की थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह माता का अविवाहित स्वरूप है।
माता का यह स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय और अत्यंत भव्य है, माता के एक हांथ में कमंडल और दूसरे हांथ में जप की माला विराजमान है। माता को हरा रंग अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान पूजा (Maa Bharamacharini Puja vidhi) करने व माता को लाल रंग का फूल चढ़ाने और मिठाई का भोग लगाने से भक्त उज्जवलता और ऐश्वर्यता का सुख भोगते हैं। तथा तप, त्याग, संयम और सदाचार जैसे गुणों में वृद्धि होती है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक माता मंगल ग्रह की शासक और भाग्य की दाता हैं, माता भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि ( Mata Bharamacharini Puja Vidhi)
- नवरात्रि के दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
- सबसे पहले कलश देवता और विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा करें।
- इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आरंभ करें, माता को पंचामृत से स्नान कराएं और गुड़हल का फूल, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें। बता दें माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए सफेद फूल पूजा में अवश्य शामिल करें।
- माता को पिस्ते की मिठाई का भोग लगाएं और पान, सुपारी, नारियल अर्पित करें।
- माता ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप कर व्रत का पाठ करें और माता की आरती कर पूजा को संपूर्ण करें।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र, (Maa Brahmacharini Mantra)
या दवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ओम देवी ब्रह्मचारिण्ये नम:।
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।।
शंकराप्रिया त्वहिं भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मरिणी प्रणमाम्यहम्।।
ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र (Ma Brahmacharini beej mantra)
ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Aarti)
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन को भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपेसकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने ना पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला लेकर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा देकर।
आलस छोड़ करे गुणगान
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।