- शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत के नाम से भी जानते हैं
- शरद पूर्णिमा के दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है
- इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण माना जाता है
Sharad Purnima Date: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 19 अक्टूबर को है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। साथ ही इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा करने से दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड एवं अन्य अच्छे बैक्टीरिया चांद की रौशनी में ज्यादा बढ़ते हैं। वहीं आध्यात्मिक तौर पर ऐसा करने से अमृत्व की प्राप्ति होती है। तो क्या है इस दिन का महत्व और कैसे करें पूजा, जानिए नियम।
इन नामों से भी जाना जाता है पर्व
शरद पूर्णिमा को 'रास पूर्णिमा', 'कोजागर व्रत' और 'कौमुदी व्रत' के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन रात में खुले आसमान के नीचे चांदी के बर्तन में खीर रखने का महत्व है। वहीं कोजागर व्रत में मां लक्ष्मी की पूजा होती है। यह त्योहार बंगाली समुदाय के लोग मनाते हैं। माना जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं। जबकि कोमुदी व्रत भगवान कृष्ण को समर्पित होता है।
शुभ मुहूर्त एवं तिथि
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-19 अक्टूबर 2021 को शाम 07:05:42 बजे से पूर्णिमा
तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर 2021 की रात 08:28:56 बजे तक
पूजा के नियम
शरद पूर्णिमा के इस दिन ब्रम्हचर्य का पालन करने, मांसाहार और नशा नहीं करने की सलाह दी जाती है। इन दिन धन का लेनदेन भी शुभ नहीं माना गया है। मान्यता है कि घर में सुख-समृद्धि के लिए इस दिन सुहागिन महिलाओं को भोजन कराने के अलावा सूर्यास्त से पहले कुछ दान देना चाहिए। इस दिन सूर्यास्त के बाद बालों में कंघी करना या अग्नि पर तवा चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न ज्योतिषियों/पंचांग और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर दी गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है।