- सूर्य और राहु के योग से बना षडाष्टक योग
- कई राशि वालों की बढ़ा रहा मुश्किल
- जानें, षडाष्टक योग से बचने के उपाय
Inauspicious Yog: 17 सितंबर को सूर्य ने कन्या राशि में गोचर किया था। सूर्य के कन्या राशि में जाते ही मेष राशि में बैठे राहु के साथ षडाष्टक योग बन गया था। राहु 12 अप्रैल से ही मेष राशि में बैठा हुआ है। षडाष्टक एक बेहद अशुभ योग है। ऐसा कहते हैं कि इस योग के चलते आपदाओं की संभावना बहुत बढ़ जाती है। किसी प्रसिद्ध इंसान की मौत का कारण भी ये अशुभ योग बन सकता है। जीवन में और भी कई तरह की परेशानियों का आगमन होता है। 16 अक्टूबर को कन्या राशि से सूर्य के बाहर निकलते ही षडाष्टक योग खत्म जाएगा। लेकिन जब तक इस योग के दुष्प्रभावों से संभलकर रहना होगा। आइए जानते हैं षडाष्टक योग किन्हें परेशान करेगा और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
कैसे बनता है षडाष्टक योग?
षडाष्टक योग उस वक्त बनता है जब दो ग्रह एक दूसरे से छठे और आठवें भाव में विरामान होते हैं। इस अशुभ योग के कारण दोनों ग्रहों के बीच छठे और आठवें भाव का संबंध बन जाता है। इसके कारण लोगों के जीवन में कई भयंकर समस्याएं आने की संभावना बढ़ जाती है।
किन राशियों की मुश्किल बढ़ाएगा षडाष्टक योग?
सूर्य-राहु से बना षडाष्टक योग वृष, मिथुन, सिंह, मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए कष्टकारी हो सकता है। इन राशि के जातकों को 16 अक्टूबर तक संभलकर रहने की सलाह दी जाती है। षडाष्टक योग का प्रभाव आपके आर्थिक जीवन पर पड़ सकता है। आय के साधनों में कमी आ सकती है। तनाव की स्थिति बन सकती है।
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षडाष्टक योग के उपाय
यदि षडाष्टक योग के कारण आपकी समस्याएं बढ़ रही हैं तो इसके कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं। रविवार को स्नानादि के बाद एक पात्र में जल, लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत और दूर्वा डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
साथ ही सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। आप ''ॐ सूर्याय नमः'' और ''ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्'' मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। ये उपाय करते वक्त सूर्य देव से अपनी समस्याएं हल करने की प्रार्थना करें।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।