- विदुर के किरदार को बेहद विद्वान बताया गया है
- उन्होंने ही पांडवों को लाक्षाग्रह से बचने की युक्ति बताई थी
- धन कमाने को लेकर भी उन्होंने कुछ समझाया है
विदुर नीति यूं तो कौरवों के पिता और हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और उनके प्रधानमंत्री विदुर के बीच का संवाद है। दरअसल, महाभारत के युद्ध में होने वाले विनाश को विदुर ने पहले ही भांप लिया था। वह चाहते थे कि महाराज इस विवाद का कोई सरल उपाय निकालें लेकिन पुत्र दुर्योधन के मोह में पड़कर उनको कोई राह नहीं सूझ रही थी। यहां विदुर और धृतराष्ट्र के बीच हुई मंत्रणा को विदुर नीति कहा गया है।
अपनी इस नीति में महात्मा विदुर ने धन कमाने को लेकर भी ज्ञान दिया है। जो नियम उन्होंने कई हजार साल पहले बताए थे, वे आज भी मान्य हैं और उतने ही प्रासंगिक भी हैं। यहां जानें वो बातें जो उन्होंने बताई थीं -
- जिस धन को अर्जित करने में मन तथा शरीर को क्लेश हो, उसे पाने का कोई फायदा नहीं है।
- ऐसा धन जिसकी प्राप्ति धर्म का उल्लंघन करने पर हो, वह नाश की वजह बनता है।
- वो धन-दौलत जो शत्रु के सामने अपना सिर झुकाने को बाध्य कर दे, उसे पाना मौत समान है।
- धन वही सच्चा है, जिसे पाने के बाद व्यक्ति के मन में अहंकार न आए।
- पाप से कमाए धन के भागीदार कई होते हैं लेकिन पापों का लेखाजोखा कमाने वाले के नाम भी जुड़ता है।
कौन थे विदुर
विदुर दरअसल धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई थे। वह हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे। उनको बेहद विद्वान माना जाता है। ब लाक्षाग्रह में दुर्योधन ने पांडवों को जलाने की कोशिश की थी तब विदुर ने उनको बचने की युक्ति इशारों में बताई थी। उन्होंने अपनी ओर से महाभारत का युद्ध रोकने की पूरी कोशिश की थी लेकिन असफल रहे।