- विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
- इस पूजा को करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है
- विजया एकादशी की पूजा भगवान श्री राम ने लंका में विजय प्राप्ति के लिए की थी
Vijaya Ekadashi: हिंदू धर्म में कई प्रकार के एकादशी व्रत मनाए जाते हैं। हर एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है। जो एकादशी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ता है, उसे हिंदू धर्म में विजया एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह हमेशा महाशिवरात्र के 2 दिन पहले ही मनाया जाता है। इस साल यह 9 मार्च 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है, कि यदि इस दिन लोग भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करें, तो उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
एकादशी को दो पक्ष में मनाया जाता है, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। तो आइए जाने विजया एकादशी की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त क्या हैं।
विजया एकादशी 2021 का शुभ मुहूर्त
एकादशी शुरू - 8 मार्च 2021
दिन- सोमवार
समय- 3 बजकर 44 मिनट
एकादशी की समाप्ति - 9 मार्च 2021
दिन- मंगलवार
समय- 3 बजकर 2 मिनट पर
पारण का समय- 10 मार्च सुबह 6:37 से 8: 59 के बीच।
विजया एकादशी का पूजा करने का सही तरीका
- इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें।
- अब घर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 प्रकार के अनाज को रखें।
- अब उस बेदी के ऊपर एक कलश को स्थापित करके करें।
- अब उस कलश के ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- अब भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने पीला फूल, फल और तुलसी को अर्पित करें।
- अब प्रतिमा के सामने धूप अगरबत्ती से आरती उतारें।
- शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद ही फलाहार करें।
- रात में सोने की बजाय भगवान का भजन कीर्तन करें।
- पारण के दिन ब्राह्मण को भोजन और दान पुण्य करके के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें।
विजया एकादशी पूजा का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार विजया एकादशी को करने से धन-धान्य और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। हमारे हिंदू धर्म के अनुसार इस व्रत को श्री रामचंद्र जी ने लंका पर विजय प्राप्ति के लिए किया था।