- बक्सर स्थित इस मंदिर में तांत्रिक साधना करते हैं
- रात के समय मंदिर से आती है बात करने की आवाज
- वैज्ञानिकों ने माना मंदिर की बनावट के कारण ऐसा होता है
राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर 400 साल पुराना है और माना जाता है कि इस मंदिर में रात के समय देवियों की बात करने की आवाजें आती हैं। यहां की प्रतिमाएं आपस में बात करती हैं। रहस्य से भरा ये मंदिर आस्था और तंत्र साधना का केंद्र माना गया है। यहां से आने वाली आवाजों पर कहा जाता है वैज्ञानिक भी रिसर्च कर चुके हैं, लेकिन आवाज आने के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकें हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि मंदिर की बनावट ऐसी हैं कि यहां सूक्ष्म शब्द हवा में घूमते रहते हैं।
बक्सर में स्थित है राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर
राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर बिहार के बक्सर जिले में स्थित है। देवी का ये मंदिर तंत्र साधना के लिए जाना जाता है। यहां साधक आते हैं और अपनी साधना को पूर्ण करने के लिए देवी की पूजा करते हैं। यहां आने वाले साधकों और भक्तों का मानना है कि यहां हर रात कुछ चमत्कारिक घटना होती है। इस मंदिर की स्थापना करीब 400 साल पहले तांत्रिक भवानी मिश्र ने की थी और उन्हीं के वंशज आज तक इस मंदिर के पुजारी का दायित्व निभाते आ रहे हैं।
मूर्तियां करती हैं आपस में बातें
इस मंदिर से रात में देवियों के बात करने की आवाज आती है। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं रात में जागृत हो जाती हैं और ये आपस में बातें करती हैं। आधी रात के बाद से यहां आवाजे आने लगती हैं। लोगों का मनना है कि इस आवाज को सुनने से डर का अहसास नहीं होता क्योंकि ये दैवीय शक्ति हैं। इस आवाज पर वैज्ञानिक भी रिसर्च कर चुके हैं।
वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिसर्च के बाद कहा यह माना था कि आवाज आती हैं लेकिन ये किसी इंसान की आवाज नहीं है, बल्कि मंदिर की बनावट कुछ ऐसी है कि यहां से सूक्ष्म शब्द भ्रमण करते रहते हैं। ये ध्वनि किसी भी चीज की हो सकती हैं जो रात में गूंजती हैं। मंदिर की बनावट के कारण ये आवाजें किसी के बात करने जैसे प्रतीत होते हैं।
दस महाविद्याओं की मूर्तियां है विराजमान
लोगों का मानना है कि तांत्रिक शक्तियों के कारण यहां की देवियां रात में जागृत होती हैं। इस मंदिर में प्रधान देवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के साथ देवी बगलामुखी, तारा माता, दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। देवी देवताओं की इन विशेष प्रतिमाओं के साथ काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, मातंगी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याओं की भी मूर्तियां यहां स्थापित हैं।