- होलिका दहन की रात्रि पर है होलिका दहन का बहुत सुंदर अवसर।
- होलाष्टक से होलिका दहन तक भी कर सकते हैं अनुष्ठान।
- ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में मिलेगी राहत, अपनाएं ये उपाय।
होलिका दहन की रात्रि तंत्र पूजा के लिए बहुत ही सुंदर अवसर है। अमावस्या की रात्रि के बाद दूसरा सुंदर अवसर हमको होलाष्टक से होलिका दहन तक प्राप्त होता है। जो लोग बहुत बीमार रहते हों। मारकेश से प्रभावित हों। कुंडली में अष्टम में स्थित ग्रह की महादशा या अंतर्दशा हो तो भी कुछ अनुष्ठान बहुत ही राहत देंगे।
द्वितीयेश व सप्तमेश की महादशा को मारकेश कहते हैं। होलाष्टक से होलिका दहन तक महामृत्युंजय मंत्र का जप व हवन बहुत ही लाभ करता है।
इस समय यदि आप चाहें तो माता काली की पूजा व बटुक भैरव उपासना भी कर सकते हैं। बटुक भैरव सुख,समृद्धि व ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। नारियल व काली मिर्च को माता काली मंदिर में अर्पण करें।
बहुत कारगर है बंगलामुखी उपासना:
इस समय बंगलामुखी अनुष्ठान बहुत ही सटीक व सफलतम उपाय है। माता पीताम्बरा पीठ का दर्शन व पूजन प्रत्येक मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। घर के पास किसी मन्दिर में या नदी के तट पर यह अनुष्ठान बहुत तेज कार्य करता है।पीला वस्त्र,हल्दी व सरसो का प्रयोग होता है।
बंगलामुखी मन्त्र का जप हल्दी की माला पर ही करें व पूरे नियम से किया जाय तो प्रत्येक कार्यों में सफलता मिलती है।राजनीति में सफलता के लिए यह अनुष्ठान बहुत ही श्रेयस्कर है। महाविद्या का प्रयोग भी इस समय करते हैं। प्रत्यंगरा व विपरीत प्रत्यंगरा का तांत्रिक प्रयोग भी इस समय किया जा सकता है।
होलिका दहन की रात्रि में हनुमानबाहुक का प्रयोग किसी भी बीमारी से मुक्त कर सकता है।हनुमानबाहुक की पूजा भी रोग व कष्ट मुक्ति के लिए रामबाण उपाय है।लाल मूंगे की माला से हनुमान जी के 12 नामों का जप किसी भी कष्ट से मुक्ति दिला देता है।
इस बीच प्रतिदिन गाय को भरपेट भोजन दें। अन्न का दान करें। भगवान शिव को इत्र, जल व अबीर गुलाल अर्पित करें जिससे जीवन में सभी खुशियां आपको स्वतः शिव कृपा से प्राप्त हो जाएंगी।