- ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी कहा जाता है।
- एकादशी में पूजा करते हुए मनोवांछित फल मिलता है।
- एकादशी का व्रत दशमी से शुरू होकर द्वादशी तक चलता है।
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। फिलहाल ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवा विष्णु के लिए व्रत रखते हैं। वहीं, उनकी पूजा अर्चना भी करते हैं। अपरा एकादशी इस साल 18 मई यानी आज सोमवार को है।
एकादशी में पूजा करते हुए मनोवांछित फल मिलता है। इसके अलावा एकादशी में विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अपरा एकादशी की शुरुआत 17 मई को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से होगी। वहीं, ये 18 मई को दोपहर 3 बजकर आठ मिनट तक चलेगी। इसके अलावा 19 मई 2020 को प्रातः 05:27:52 से 08 बजकर 11 मिनट 49 सेंकड तक है।
अपरा एकादशी व्रत विधि
एकादशी का व्रत दशमी से शुरू होकर द्वादशी तक चलता है। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और इस दिन गंगाजल से स्नान करें। साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद व्रत का संकल्प करें। अपरा एकादशी के व्रत की पूर्व संध्या केवल सात्विक भोजन करें। व्रती अगले दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
अपरा एकादशी के दिन व्रति को देर तक नहीं सोना चाहिए। इस अलावा भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें। एकादशी के दिन घर में चावल न बनाएं। एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी के दिन चावल ग्रहण करें। अगले दिन पारण मुहूर्त में व्रत खोलें।
अपरा एकादशी में ऐसे करें पूजा
अपरा एकादशी में सबसे पहले पूजा की जगह की साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को गंगाजल से नहलाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा को फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पण करें।
पूजा के लिए पीले आसन पर बैठें। इसके बाद अपने दाएं हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना भगवान विष्णु से करें। शाम के वक्त भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाएं। एकादशी में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। पूजा के बाद लोगों को व्रत का प्रसाद बांटें।