- स्नान के लिए घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं
- कष्ट मुक्ति कि लिए इस दिन स्नान करना बहुत शुभ होता है
- गंगा स्नान से पूव ईष्ट देव और सूर्य देव को प्रणाम करना चाहिए
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा जी धरती पर अवतरित हुईं थीं और इस दिन को गंगा दशहरे के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा सेवन यानी गंगा स्नान करने से अनजाने में हुए पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि इस दिन यदि गंगा करने वालों को दस प्रकार के पाप से मुक्त होने लाभ मिलता है। कोरोना संक्रमण काल में आप गंगा स्नान के लिए घर पर नहाने वाले जल में गंगा जल की कुछ बूंदे मिला कर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी गंगा स्नान के बराबर ही पुण्य मिलता है।
गंगा दशहरा पर स्नान दूर करता है ये पाप
पुराणों में गंगा स्नान और पूजा करने से कई प्रकार के अनजाने में हुए पापों से ही मुक्ति नहीं मिलती बल्कि इससे कई प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता है गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान करने से काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल-कपट, परनिंदा जैसे अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। अवैध संबंध, बिना बात जीवों को कष्ट देना, असत्य बोलना या किसी को धोखा देने से जैसे पाप भी गंगा स्नान से मिट जाते हैं।
जब करें, गंगा स्नान इन बातों का रखें ध्यान
- गंगा स्नान करते समय सबसे पहले अपने ईष्ट देव और सूर्य को प्रणाम करें। स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- गंगा स्नान के बाद शरीर को कभी नहीं पोछें। ऐसा करने से गंगा सेवन का लाभ कम हो जाता है। शरीर को अपने आप सूखने देना चाहिए।
- सूतक काल में कभी भी गंगा स्नान नहीं करना चाहिए, ऐसा करना कष्ट का भागी बना सकता है।
- नहाने के जल में जब भी गंगाजल मिलाएं, उसे पूरा प्रयोग करें।
- गंगा स्नान करते हुए कभी उस पानी से मैल न उतारें
- कभी गंगाजल में वस्त्र को नहीं धोना चाहिए।