- भैरव को प्रसन्न कर के कई समस्याओं के समाधान हेतु विशेष तांत्रिक शक्तियां प्राप्त की जाती हैं
- मंगलवार रात को काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहन कर की जाती है
- राहु के प्रभाव को कम करने के लिए भैरो उपासना की जाती है
काल भैरव शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। भगवान शिव के इस रूप की पूजा से मृत्यु का भय खत्म होता है और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को तंत्र का देवता माना जाता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ने वाली अष्टमी भैरव अष्टमी के नाम से जानी जाती है। राहु के प्रभाव को कम करने के लिए भैरो उपासना की जाती है। माता वैष्णो की भी पूजा बिना भैरव दर्शन के अधूरी ही मानी जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच में विवाद हुआ, जिसकी वजह से भगवान शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गए थे। उनके क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ था। कहते हैं जिस दिन काल भैरव उत्पन्न हुए थे उसी दिन कालाष्टमी की तिथि थी। मंगलवार रात को काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहन कर करने से सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। जानें काल भैरव की पूजा किन लोगों के लिए आवश्यक है-
किन लोगों को करनी चाहिए उपासना और क्यों
- शिक्षा में बाधाओं को हटाने के लिए यह पूजा जरूरी है।
- यश, प्रतिष्ठा तथा कीर्ति में वृद्धि के लिए भैरो पूजा लाभ करती है।
- यदि आप धन के व्यय से बहुत परेशान हैं तो भैरव पूजा से आपको लाभ मिलेगा।
- यदि आपके घर में रोज क्लेश हो रहे हैं तो आपके लिये भैरव पूजा फलदायी होगी।
- स्वास्थ्य सुख में बाधाओं को समाप्त करने के लिए भैरो उपासना अति आवश्यक बन सकता है।
- ऐसे लोग जिनकी संगति गड़बड़ है और उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं है तो वो भी भैरव उपासना कर सकते हैं।
- यदि कुंडली के सप्तम भाव में राहु दाम्पत्य जीवन को खराब कर रहा है तो भी भैरो पूजा आवश्यक है।
- वे लोग जो नशे के शिकार होते हैं और अपना जीवन नशे में बर्बाद करते हैं, उन्हें काल भैरव की उपासना करनी चाहिये।
यही नहीं यदि जीवन में शनि और राहु की बाधाएं आ रही हैं तो वह भी इनकी कृपा से दूर होगी। इनकी पूजा करने से डर से लड़ने की हिम्मत भी मिलती है।