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बांदा अष्टमी से शुरू हुए मां दुर्गा की अवतार शाकंभरी के नवरात्र‍ि, जानें कथा और मां अन्नपूर्णा की साधना का लाभ

Updated Jan 21, 2021 | 06:08 IST

21 जनवरी से शाकंभरी नवरात्रि प्रारंभ हो रही है जो 28 जनवरी को समाप्त होगी। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के अनूठे रूप मां शाकंभरी यानी मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है।

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Banada Ashtami 2021
मुख्य बातें
  • 21 जनवरी को शाकंभरी नवरात्रि हो रही है प्रारंभ
  • 28 जनवरी को शाकंभरी नवरात्रि का है समापन
  • इन 9 दिनों में की जाती है मां अन्नपूर्णा की पूजा

शाकंभरी नवरात्रि हर वर्ष पौष माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन से लेकर पौष माह की पूर्णिमा के दिन तक मनाई जाती है। शाकंभरी नवरात्रि के पहले दिन को बांदा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के चारु रूप मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। मां अन्नपूर्णा को शाक-सब्जियों की देवी कहा जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में शाकंभरी नवरात्रि के कई व्याख्यान मिलते हैं जिसमें मां अन्नपूर्णा की ममतामई रुप का दिखाया गया है। कहा जाता है कि जो भक्त इन 9 दिनों में मां अन्नपूर्णा की सच्चे मन से सेवा करता है उनसे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न हो जाती हैं और मनवांछित फल प्रदान करती हैं। 

Banda Ashtami Date 2021 , बांदा अष्‍टमी की त‍िथ‍ि 

बांदा अष्टमी प्रारंभ तिथि: - 20 जनवरी 2021 (दोपहर 01:14 से)

बांदा अष्टमी समापन तिथि: - 21 जनवरी 2021 (शाम 03:50 तक)

कौन हैं माता शाकम्भरी, क्यों की जाती है शाकंभरी देवी की पूजा

बहुत समय पहले की बात है, जब पृथ्वी ‌पर सूखा पड़ गया था तब लोगों के पास खाने-पीने का संसाधन खत्म हो गया था। इस समस्या से निजात पाने के लिए ऋषि-मुनियों ने आदिशक्ति की आराधना की थी। उनसे खुश होकर मां अयोनिजा रूप में अपने भक्तों की परेशानी दूर करने आईं थीं। अपने बच्चों को कष्ट में देखकर माता ने अपना रूप बदल लिया और शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। 

माता का यह रूप बहुत विशाल था। उनके पूरे शरीर पर खाने-पीने के संसाधन लगे हुए थे। जब तक धरती पर वर्षा नहीं हुई थी तब तक मां शाकंभरी ने अपने बच्चों की मदद की थी और उनकी जान बचाई थी। इनको हर‍ियाली का प्रतीक भी कहा जाता है। 

मां शाकम्भरी की पूजा-विधि पूजा विधि

बांदा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कीजिए फिर साफ कपड़े पहन कर अपने पूजा स्थान को साफ कर लीजिए। अब कहीं से अच्छी मिट्टी ले आइए और इसमें जौ के बीच डाल दीजिए। अपने पूजा घर या पूजा स्थल के साथ पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कीजिए। शुभ मुहूर्त के समय एक कलश पर लाल रंग का कपड़ा लपेट दीजिए और उसकी स्थापना कीजिए। अब कलश में भी गंगाजल डालिए और आम की पत्तियों को रख कर नारियल रखिए। अब कलश पर कलावा बांधिए और विधि अनुसार मां दुर्गा की पूजा कीजिए। 

क्‍यों करें बांदा अष्‍टमी पर मां अन्‍नपूर्णा की पूजा 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो भक्त इन 9 दिनों में मां अन्नपूर्णा की पूजा श्रद्धा भाव से करता है उसके घर में कभी भी खाने-पीने की कमी नहीं होती है। मां अन्नपुर्णा अपने भक्तों के जीवन में से सभी दुखों को दूर करती हैं और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। जो भक्त इन 9 दिनों में मां अन्नपूर्णा को सच्चे मन से याद करता है उसके सारे कार्य सफल होते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बांदा अष्टमी के दिन पूजा करना बहुत अनुकूल और लाभदायक माना गया है। 

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