- एक राशि से दूसरी राशि में जब सूर्य देव प्रवेश करते हैं तब उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
- 17 अगस्त मंगलवार के दिन सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करने वाले हैं।
- संक्रांति तिथि पर सूर्य पूजा तथा पवित्र नदियों में स्नान लाभदायक माना गया है।
Simha Sankranti 2021 Date and Time: जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तब इस समय अवधि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस बार सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करने वाला है। सिंह संक्रांति पर घी का विशेष महत्व है। ऐसा माना गया है कि सिंह संक्रांति पर घी का सेवन करने से याददाश्त और बुद्धि तेज होती है। इसके साथ शरीर में उर्जा का संचार होता है। भारत के कई राज्यों में सिंह संक्रांति को सिंह संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है। संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की पूजा विधि विधान से की जाती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान विष्णु तथा भगवान नरसिंह की पूजा करना भक्तों के लिए लाभदायक है। संक्रांति तिथि पर नारियल पानी और दूध से देवताओं का अभिषेक किया जाता है।
कई राज्यों में संक्रांति तिथि पर भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तब उनका प्रभाव अधिक होता है। विधान के अनुसार, इस दिन सूर्य देव को तांबे के लोटे से अर्घ्य देना चाहिए। इसके साथ 108 बार ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
Simha Sankranti 2021 Date, सिंह संक्रांति 2021 तिथि
सिंह संक्रांति 2021 तिथि: - 17 अगस्त, रविवार
संक्रांति समय अवधि: - 17 अगस्त रविवार सुबह 01:23
सूर्योदय: - 17 अगस्त सुबह 06:07
सूर्यास्त: - 17 अगस्त शाम 06:54
पुण्य काल मुहूर्त: - 17 अगस्त सुबह 06:07 से दोपहर 12:30 तक
महा पुण्य काल मुहूर्त: - 17 अगस्त सुबह 06:07 से 08:14 तक
Simha Sankranti significance सिंह संक्रांति का क्या महत्व है
सिंह संक्रांति का पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा करने से भक्तों को यश, वैभव, धन, सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति तिथि पर जो भक्त सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा करता है उसे सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।