- प्रत्येक माह, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से माना जाता है, यह तिथि विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश को समर्पित है।
- इस वर्ष आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी 13 जुलाई 2021 के दिन पड़ रही है, रवि और सिद्धि योग बनने से यह तिथि बेहद अनुकूल मानी जा रही है।
- विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा करना मंगलमय माना गया है, विधि अनुसार पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश को परम पूज्य देवता की उपाधि दी गई है। विघ्नहर्ता की पूजा करना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। सनातन धर्म में भगवान श्रीगणेश को समर्पित कई तिथियां हैं, इन तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी मानी गई है जो हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा विनायक चतुर्थी पर विधि अनुसार करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश अपने भक्तों की इच्छा पूर्ति करने के साथ उनके जीवन की सभी समस्याओं को हर लेते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी 13 जुलाई मंगलवार के दिन पड़ रही है और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर रवि और सिद्धि योग बन रहे हैं जो बेहद लाभदायक माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, रवि और सिद्धि योग में किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं और जातकों के लिए शुभ फल लाते हैं।
यहां जानें, आषाढ़ मास के विनायक चतुर्थी कब है।
विनायक चतुर्थी तिथि: - 13 जुलाई 2021, मंगलवार
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: - 13 जुलाई 2021 सुबह 08:24
चतुर्थी तिथि समापन: - 14 जुलाई 2021 सुबह 08:02
चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय: - सुबह 05:06
चतुर्थी तिथि पर सूर्यास्त: - शाम 06:41
चतुर्थी तिथि पर चंद्रोदय: - प्रातः काल 07:52
चतुर्थी तिथि पर चंद्रास्त: - रात 09:21
विनायक चतुर्थी पर कैसे करें गणेश पूजन?
गणेश चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त में उठकर और नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके पश्चात अपने पूजा घर को अच्छी तरह से साफ करें। अब भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करके उनके सामने दीप प्रज्वलित करें और जलाभिषेक करने के बाद उन्हें साफ कपड़े पहनाएं। तत्पश्चात भगवान श्री गणेश को सिंदूर लगाएं और दूर्वा अर्पित करके सच्चे मन से उनकी आरती करें। आरती करने के बाद भगवान श्री गणेश को उनके प्रिय लड्डू या मोदक का भोग लगाएं फिर व्रत के संकल्प के साथ पूरे दिन व्रत रखें।