- पितृ श्राद्ध करने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
- ब्राह्मण को भोज एक दिन में एक ही जगह करना चाहिए
- श्राद्धकर्ता और ब्राह्मण को भोज करते हुए चुप रहना चाहिए
पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं और वे अपने वंशजों से अपने लिए श्राद्ध की इच्छा रखते हैं। इसलिए पितरों के निमित तर्पण करने के साथ उनके लिए भोजन और दान जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि ब्राह्मणों के मुख द्वारा ही देवता ’हव्य’ एवं पितर ’कव्य’ ग्रहण करते हैं। आप चाहें तो पितृपक्ष के पूरे सोलह दिन दान और भोज ब्राह्मणों को खिला सकते हैं अथवा जिस दिन आपके पितरों के श्राद्ध की तिथि हो उस दिन विधिवत श्राद्धकर्म करें।
एक बात हमेशा ध्यान दें कि जब भी पितरों के नाम पर ब्राह्मणों भोज कराया जाता है तो कुछ नियम का पालन करना जरूरी होता है। श्राद्ध भोज के आठ नियम हैं और इन नियमों के साथ कार्य करने से पितरों को शांति मिलती है। तो आइए जानें क्या हैं, ये नियम।
जानें, श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन के भी विशेष नियम क्या हैं
- श्राद्ध भोज आप जिस भी ब्राह्मण को कराने जा रहे हैं उसे पहले से बता दें ताकि वह ब्राह्मण संध्या कर लें। श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण श्रोत्रिय होने चाहिए और वे नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करते हों।
- श्राद्ध का भोज करने वाले ब्राह्मण और भोज खिलाने वाले को मौन रूप से भोजन करना चाहिए। यदि किसी को कुछ आवश्यक हो तो वह इशारे से बता सकता है। बोलते हुए भोजन करने वाले ब्राह्मण के जरिये पितरों तक भोजन नहीं पहुंचता है। इसलिए विशेष रूप से यह ध्यान रखना चाहिए।
- श्राद्ध भोज की न तो प्रशांसा करनी चाहिए और न ही बुराई। भोजन जैसा बना है उसे प्रसाद की तरह ग्रहण करना चाहिए। यदि नमक या चीनी की कमी हो तो उसे इशारे से मांग कर पूर्ण कर लें, लेकिन कमी बताएं नहीं।
- श्राद्ध भोज कराने वालों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह ब्राह्मण के आगे भोजन ले जाता रहे। यह न पूछे की और चाहिए या भोजन कैसा लगा। ऐसा करने से भोजन पर टोक लगती है और वह पितरों तक नहीं जाता है।
- श्राद्ध के लिए जब भी ब्राह्मण को निमंत्रित करें तो यह ध्यान रखें कि वह ब्राह्मण को पुर्नभोजन या किसी अन्य घर जाकर भी श्राद्ध भोज न करें। एक ही दिन में अधिक घरों में भोजन करना सही नहीं होता।
- जिस दिन आप श्राद्ध का भोज करा रहे उस दिन या तो भोजन से पूर्व दान कर दें अथवा किसी अन्य ब्राह्मण को दान दें। श्राद्ध भोज वाले दिन दान ब्राह्मण को दान न दें।
- श्राद्ध कर्म के एक दिन पूर्व से ही परिजनों को सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन और रतिक्रिया से दूर रहना चाहिए।
- श्राद्ध भोज या तो पलाश के पत्तों में खिलाएं अथवा चांदी या कांसे के बर्तन में खिलाएं। मिट्टी के बर्तन का उपयोग बिलकुल न करें।
श्राद्धकर्म यदि नियमों के साथ किए जाते हैं तो उसका पूर्ण लाभ पितरों को प्राप्त होता है। इसलिए नियमों का विशेष ध्यान रखें।